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  Hindi shayari
 

गुज़'रे हुए लम्हों का, ज़ख्म है दिल पर
बिछ्डी हुइ यादॊं का, असर है हम पर
किसी की याद में रोना, मुस्तक'बिल है अप'नी
घुट घुट कर जीना भी, तक'दीर है अप'नी
ये बद्नसीबी है मेहर'बान हम पर
गुज़'रे हुए लम्हों का, ज़ख्म है दिल पर
रातों को जग'ना फ़ित'रत है अप'नी
दर्द-ए-दिल को सीना भी किस्मत है अप'नी
बेवफ़ा होने का इल्ज़ाम है हम पर
गुज़'रे हुए लम्हों का ज़ख्म है दिल पर

तुने नहीं चाहा, नहीं तो हालात बदल सक'ते थे
मेरी आसुँ तेरी आखों से निकल सक'ते थे
तुम'ने अल्फ़ाज़ की तासीर को पर्खा नहीं
नर्म लह्ज़े से तो पत्थर भी पिघल सक'ते थे
तुम तो ठह'रे ही रही झील की पानी कि तरह
दरिया बन'ते तो दूर निकल सक'ते थे

प्यास दरिया कि निगाहों से छिपा रखि है
एक बादल से बडी आस लगा रखि है
तेरी आखों की कशिश कैसे तुझे सम'झाउँ
इन चार'गों ने मेरी नीदं उडा रखि है
तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझे
तुने खुश'बू मेरे लह्ज़े में बसा रखि है
खुद को तन्हा ना समझ लेना नये दीवानों
नींद शह'रों की उस'ने उडा रखि है

मेरे मेह्बूब तेरे रुक'सार के दिदार से मुझ'को मह'रुम न कर
ये दुनिया बढि ज़ालिम है कम से कम तु ज़ुल्म न कर
तेरी बेरुखि दर्द बढाती है
मैन हर'पल शर्मिन्दा हुँ बहुत मुझ'को तु और रुस'वा न कर

 


 

मुझे भुल जाना अगर हो सके
मत याद कर'ना अगर हो सके
रहे याद क्यों भुल जाने कि बात
ना कभी आसुँ बहना अगर हो सके
मुझे माफ़ कर'ना मेरे हुम'सफ़र
कहीं खो गया मैं तुम्हे खो कर
मैने तुम्हे गम दिय है मगर
सदा मुस्कुराना अगर हो सके
मत याद कर'ना अगर हो सके

मुझे माफ़ कर मेरे हम'सफ़र,
तुझे चाह'ना मेरे भूल थी,
किसि राह पर वो एक नज़र,
तुझे देख'ना मेरी भूल थी....

कोइ नज़्म हो या कोइ गज़ल,
कहीं रात हो या कहीं शहर,
वो गलि गलि वो शहर शहर,
तुझे ढूढ्ना मेरी भूल थी....

मेरे गम की कोई दवा नहीं,
मुझे तुझ'से कोई गिला नहीं,
मेरा कोई तेरे सिवा नहीं,
ये सोच'ना मेरी भूल थी.......
तन्हाई से इस कदर परेशान हुँ
लग'ता है अप'ने से अजांन हुँ
हर वक्त सोच मैं डूबा रह्ता हुँ
कोइ नहीं है मेरा, बस य'ही सोच'ता हुँ
जब भी मैं उस'की जुदाई याद कर'ता हुँ
कुछ हैं जो बोल'कर अप'नि बात साम'ने रेख'ते हैं
हम हैं जो आखों से इज'हार कर'ते हैं
हमें आदत है किनारे आकर नाव डूबाने कि
वो हैं , की तूफ़ान मैं भी समंदर पार किया कर'ते हैं
तुम'से जुदा हो'कर जाऊँ मैं किधर
मेरी दुनिया तो तुम हो
तुम'से रुठ'कर तुम्हे मागुँ खुदा से
कैसे कहुँ इन दुआओं मैं तुम हो
भुलाकर तुम्हे हसुँ भि मैं कैसे
दिल को टटोलूँ तो यादों मैं तुम हो
आप मेरी नज़'रों से दुर हैं
पर मेरे दिल के बाहर नहीं
आप मेरी पोहँच से बाहर हो सक'ती हैं
पर आप मेरी सोच के बाहर नहीं
मैं आप'के लिये कुछ भि नहीं
पर आप मेरे लिये सब कुछ हैं
तेरे आने कि आहट सुनि थि मैने
और फिर तुम'से हुई क्या बात, कुछ याद नहीं
तुम'से मिल'कर जो मैने कुछ गीत लिखे थे
कैसे थे वो नग्में, कुछ याद नहीं
पिछ्ली बारिश मैं झूम के बर'सा था सावन
अब के कैसे गुज'री है बर'सात, कुछ याद नहीं
कुछ खोये से थे तुम, कुछ खोये से थे हम
कैसे गुज'रे वो लम्हें, कुछ याद नहीं
बेखुदि बधं सि गयी जब प्यार हुआ तुम'से
कित'ने मासूम थे वो जज'बात, कुछ याद नहीं
तुम'ने फूलों कि महक दि या काटों कि चुभन
क्या तुम'ने दिया सौगात, कुछ याद नहीं
तुम मिले कब और कब जुदा हो गये
कहाँ तुम'से हुई थि मुलाकात, कुछ याद नहीं
दिल से तेरी याद न जाये तो क्या करूँ
तस्वीर मैं तु हि तु नज़र आये तो क्या करूँ
लेने को तो ले आयुँ तुम्हे ख्वाबों मैं
पर नींद हि न आये तो क्या करूँ
तेरी वफ़ा ने मुझे खुद पे और सितम कर'ने ना दिया ,
जो आये पल'कों पर मोति उन्हे झर'ने ना दिया !
मैने सम'झा है खुद को सदा अमानत तेरी ,
इसि खयाल ने मुझ'को कभि मर'ने ना दिया !!

 
 
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